अश्क ज़ाएअ' हो रहे थे देख कर रोता न था जिस जगह बनता था रोना मैं उधर रोता न था सिर्फ़ तेरी चुप ने मेरे गाल गीले कर दिए मैं तो वो हूँ जो किसी की मौत पर रोता न था मुझ पे कितने सानहे गुज़रे पर इन आँखों को क्या मेरा दुख ये है कि मेरा हम-सफ़र रोता न था मैं ने उस के वस्ल में भी हिज्र काटा है कहीं वो मिरे काँधे पे रख लेता था सर रोता न था प्यार तो पहले भी उस से था मगर इतना नहीं तब मैं उस को छू तो लेता था मगर रोता न था गिर्या-ओ-ज़ारी को भी इक ख़ास मौसम चाहिए मेरी आँखें देख लो मैं वक़्त पर रोता न था
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था. वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं ये काम किस ने किया है ये काम किस का था.🥀
कहो तो एक ख्वाब मुक्कमल कर दूं, तेरे नाम अपना हर एक पल कर दूं, मुझमे डूब कर तुम कभी निकल ही न पाओ, कहो तो अपने आप को दलदल कर दूं।
सुना है तुम्हारी नजरे कातिल है हम पर भी निगाहे करम कर दो उम्र गुजार देंगे तेरी पलको के साए मे या फिर हमारा भी कत्ल कर दो
प्रेम कितना नुकसान कर सकता है ये बात उस लड़के से पूछो जिसने प्रेमिका के लिए घर छोड़ा, पढ़ाई छोड़ी और अंत में उस प्रेमिका ने उसे छोड़ दिया...!!! 💔
अगर किसी के पास सब कुछ हो तो ये दुनिया जलती है....!! अगर किसी के पास कुछ ना हो तो ये दुनिया हंसती है.....!! पर मेरे पास आपके लिए दुआएं है.....!! जिसके लिए पूरी दुनिया तरसती है.....!!
खास थे तभी तुमसे लड़ते थे... गैरों की तरफ तो हम नजर उठाकर भी नहीं देखते हैं 😒
कौन खरीदेगा अब हीरो के दाम में तुम्हारे आँसु.......😢 वो जो दर्द का सौदागर था, मोहब्बत छोड़ दी उसने....
❛❛ठहरी हुई ख़्वाहिशों की बंद किताब हूँ मैं, ज्यादा तो नहीं मगर खुद में ही, बेहिसाब हूँ मैं।❜
जब लहजे बदल जाएं तो वज़ाहतें कैसी, नए मयस्सर हो जाएं तो पुरानी चाहतें कैसी।
नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से, मैंने आने न दिया उसको कभी तेरी याद से पहले
एक आदमी किसी भी मुसीबत से निकल सकता है लेकिन जहा उसकी पत्नी ने पोछा लगाया हो वहाँ से नही निकल सकता