भुला कर दर्द-ओ-गम ज़िंदगी के इश्क़ के खुमार में जी लेंगे , बसा कर मोहब्बत का आशियाना यादों के हिसार में जी लेंगे
जाएँ भी तो कहाँ जाएँ, दिल इश्क़ में गिरफ्तार बोहत है..!! माँगते हैं सिर्फ़ मोहब्बत हम, तेरे लबों का इज़हार बोहत है..!!
इश्क़ हो हमसे ही उनको ये ज़रूरी तो नही, एक जेसी हालत हो दोनो की ये ज़रूरी तो नही तन्हाईया मेरी सदा याद करती हे जिन्हे, ज़रूरत हो उनको भी मेरी ज़रूरी तो नही ...
दिल को अपने आरमान मिल जाए, इस जिस्म को अपनी जान मिल जाए..!! आप जो मिल जाएँ मुझ को तो, इश्क़ को अपनी दास्तान मिल जाए.
मेरी ज़िंदगी मैं आए हो बनके बाहर, अपने हाथो मैं तेरे नाम की लकीर बना लूँ बदली बनके बरस जा एक बार, अपने इश्क़ की मैं तुझको हीर बना लूँ .
ना जाने कितने घायल हो गये है, या इस नज़ारो के तीर ना चलाया कीजिए, खुदा के कहर से दर ज़ालिम, या ना इश्क़ मैं किसी को आजमाया कीजिए
चलना था तेरे साथ हूमें बनके तेरा हमसफर, आज हम अपनी ही परछाई से देखो कैसे डर गये, इश्क़ करना जुर्म था पर जुर्म हम तो कर गये, इश्क़ को खुदा समझ हम इश्क़ पे ही मर गये.
कभी आयतो में पढ़ा तुझे, कभी हरफ़ हरफ़ लिखा तुझे कभी दिल से तुझको पुकार के, कोई शेर अपना कोई सुना दिया भुला दिया, भुला दिया, तेरे इश्क़ में खुद को भुला दिया
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही, इश्क़ में प्रेमी कभी झुकता नही, खामोश हैं हम किसी के खुशी के लिए, ना सोचो के हमारा दिल दुःखता नहीं! ..
चाहत के यह कैसे अफ़साने हुए, खुद नज़रों मे अपनी बेगाने हुए, किसी भी रिश्ते का ख़याल नही मुझे, इश्क़ मे तेरे इस कदर दीवाने हुए..
इश्क़ ने हमे बेनाम कर दिया, हर खुशी से हमे अंजान कर दिया, हमने तो कभी नही चाहा के हमे भी मोहब्बत हो, लेकिन आप की एक नज़र ने हमे नीलाम कर दिया .
तनहाइयों मे मुस्कुराना इश्क़ है, एक बात को सब से छुपाना इश्क़ है, यूँ तो नींद नही आती हमें रात भर, मगर सोते सोते जागना और जागते जागते सोना इश्क़ है...